सभी को अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह।
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, अल्लाह तआला ने हमें अपनी रहमतों से नवाजा है। हम अपने घरों में सुकून के साथ जी रहे हैं, लेकिन इस दुनिया में ऐसे बहुत लोग हैं जो एक वक्त की रोटी के लिए तरसते हैं। उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं और वो हमारी मदद की उम्मीद रखते हैं।
कुरआन-ए-पाक में अल्लाह तआला फरमाते हैं:
“जो लोग अल्लाह की राह में अपना माल खर्च करते हैं, उनका उदाहरण उस दाने की तरह है, जिससे सात बालियाँ उगती हैं और हर बाली में सौ दाने होते हैं। अल्लाह जिसे चाहे और बढ़ा देता है। अल्लाह बड़ा देने वाला और जानने वाला है।”
(सूरह अल-बकराह, आयत 261)
भाइयों और बहनों, दान करना न सिर्फ हमारा कर्तव्य है, बल्कि यह हमारे लिए एक सुनहरा मौका है, जो हमें अल्लाह तआला के करीब लाता है। जब आप किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं, तो आपके दिल को सुकून और खुशी मिलती है।
आपके दिए गए दान से किसी की जिंदगी बदल सकती है। एक मां अपने बच्चों को खाना खिला सकती है, एक गरीब बच्चा अपनी किताबें खरीद सकता है, और एक बीमार व्यक्ति अपना इलाज करा सकता है।
आज मौका है कि हम अपने दिल से फैसला करें। अल्लाह की राह में दान दें और अपनी आख़िरत के लिए बेहतरीन सौदा करें। याद रखें, जो भी आप देंगे, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, अल्लाह उसे कई गुना बढ़ाकर लौटाएंगे।
आइए, दिल से मदद करें। अल्लाह तआला हमें इस नेक काम को समझने और अमल करने की तौफीक दे।
आमीन।
जज़ाकल्लाहु खैर।